होता नहीं गवारा..... टुक मुस्कुराईये
आइना खफा खफा है टुक मुस्कुराईये !
उदासियाँ बसा कर क्यूँ सो गए हैं आप
सूरज चढा है सर पर अब जाग जाइये !
नहीं है कोई आखिर दौर-ए-ज़िन्दगी में
हर मोड़ पे ख़ुशी के नगमों को गाईये !
चल पडो अकेले पर्वाह है क्यों औरों की
मंजिल आपकी है खुद राहें बनाईये !
चाहत में गैरों की खुद को भुला दिया
मौका है खुद से आज मोहब्बत जताइये !
आइना खफा खफा है टुक मुस्कुराईये !
उदासियाँ बसा कर क्यूँ सो गए हैं आप
सूरज चढा है सर पर अब जाग जाइये !
नहीं है कोई आखिर दौर-ए-ज़िन्दगी में
हर मोड़ पे ख़ुशी के नगमों को गाईये !
चल पडो अकेले पर्वाह है क्यों औरों की
मंजिल आपकी है खुद राहें बनाईये !
चाहत में गैरों की खुद को भुला दिया
मौका है खुद से आज मोहब्बत जताइये !
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