Sunday, October 25, 2009

मंजिल तुझे पुकारेगी.....

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कदम बढा गर तू चला
मंजिल तुझे पुकारेगी.

धूप है बहुत कड़ी
बारिश की बंधी झड़ी
पर ना थम पल घड़ी
जीत जै जैकारेगी
मंजिल तुझे पुकारेगी.....

दिन जलता बलता ढलता है
रातों में चाँद चमकता है
मार्ग ना छोडा तो राही
पवन स्वेद को पौंछेगी
तेरी वो राह बुहारेगी
मंजिल तुझे पुकारेगी ......

तू फूल को मुस्का के देख
तू शूल को भी हंस के देख
तू हिचक मत झिझक मत
ये बहारें गीत जायेगी
कुदरत आरती उतारेगी
मंजिल तुझे पुकारेगी.......

(एक राजस्थानी गीत से प्रभावित)

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