...
अंजुरी में लहराते जल में
जब जब झाँकू मैं सजना
अक्स तुम्हारा देख वहां
सोचूं यह कैसा है सपना.
पी जाऊँ इस अमृत जल को
तुझे समाने मन-तन में
रौं रौं को महका दो साजन
ज्यों खुशबू हो उपवन में.
अंजुरी में लहराते जल में
जब जब झाँकू मैं सजना
अक्स तुम्हारा देख वहां
सोचूं यह कैसा है सपना.
पी जाऊँ इस अमृत जल को
तुझे समाने मन-तन में
रौं रौं को महका दो साजन
ज्यों खुशबू हो उपवन में.
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