(आइये क्रोध को साक्षी भाव से देखें)
# # #
क्षण भर हेतु
होता है
क्रोध
उत्तम पुरुष का...
प्रहर द्वय
ठहरता
क्रोध
मध्यम पुरुष का..
एक दिवस-निशा
पर्यंत
जीवित रहता
क्रोध
अधम पुरुष का..
जीवन भर
तपाता
जलाता
विनाशता
अन्यों एवं स्वयं को
क्रोध
निम्नतम पुरुष का...
(जैनाचार्य सोमप्रभ कृत सिन्दूर प्रकर ग्रन्थ के विवेचन पर आधारित)
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क्षण भर हेतु
होता है
क्रोध
उत्तम पुरुष का...
प्रहर द्वय
ठहरता
क्रोध
मध्यम पुरुष का..
एक दिवस-निशा
पर्यंत
जीवित रहता
क्रोध
अधम पुरुष का..
जीवन भर
तपाता
जलाता
विनाशता
अन्यों एवं स्वयं को
क्रोध
निम्नतम पुरुष का...
(जैनाचार्य सोमप्रभ कृत सिन्दूर प्रकर ग्रन्थ के विवेचन पर आधारित)
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