Wednesday, May 13, 2009
एक तोता -मुल्ला नसीरुद्दीन के घर में
तोते तो तोते ही होतें है. जैसा सिखाया या जैसा रटा हुआ वैसा ही बोल देतें हैं...विवेक कहाँ से लाये बेचारे, उन्हें तो बस बोलना ही है, और जैसा 'प्रीकंसीव ' होता है
बस 'ट्रिगर ' पॉइंट होना चाहिए...लगतें है उगलने....हाँ तोते कभी कभी अपनी बेवकूफी के चलते या 'रट्टू-पीर' होने के नाते भी कई 'ऐतिहासिक' तथ्यों को
उजागर कर डालते है अनायास ही....चलिए तोते और हमारे अज़ीज़ मुल्ला नसीरुद्दीन की बात हो जाये.
मुल्ला नसीरुद्दीन की बेगम साहिबा को बाज़ार में एक तोता पसंद आ गया, और उन्होंने उसे खरीद डाला, बेचनेवाले के ख़बरदार करने के बावजूद भी. बेचने वाले ने कहा थे, "बहना ! आप इस तोते को ले तो जा रही हैं, मगर यह बताना मैं अपना फ़र्ज़ समझता हूँ कि यह जनाब तोता-उद्दीन साहिब गलत जगह से आ रहे हैं, कुछ ऊट-पटांग बोल दे तो आप नाराज़ ना होना, क्योंकि यह अंटशंट ही सुनता रहा है."
मुल्ला की पत्नी ने सोचा, जब मुल्ला को ही सुधार लिया तो इस तोते की क्या बिसात. ठीक कर दूंगी इसको भी, बस कुछ दिनों कि ही तो मशक्कत रहेगी.
बेगम साहिबा ने तीन हफ्ते तोते को ढांप कर रख दिया, ताकि वह माहौल में 'attuned' हो जाये, वातावरण के अनुसार खुद को ढाल ले. इस दौरान उन्होंने तोते को बड़ी ज्ञान की बातें भी सिखाई....तोता भी ज्ञान की बातें दोहराने लगा. तीन हफ्ते बाद तोता-उद्दीन साहिब को परदे के बाहिर लाया गया. रोशनी हुई, तोते ने अपनी मालकन को देखा और बोला,"अरे नयी मालकन !" मालकन सुन कर बहुत खुश हुई कि तोता बहुत ही जहीन और 'सोबर ' हो गया है. तभी मुल्ला नसीरुद्दीन की बेटियां कॉलेज से वापस आयी. तोते बोला, " अरे नयी मालकन, नयी छोकरिया भी !" तभी मुल्ला नसीरुद्दीन घर लौटा और तोता महाशय बोले, "अरे नयी मालकन, नयी छोकरियाँ मगर ग्राहक वही पुराना !"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
vinesh ji ... aaj yunhi apake blog pe chali ayi.aur mulla ji ke kisse padhne mein mast ho gayi..ye kissa pehle padha nahin tha..aur bahut hi rochak laga aur antim waqy se to barbas hansi phoot gayi ....
ReplyDeleteregards
Mudita