मुल्ला नसीरुद्दीन एक दफा एक 'ज्वेलरी शॉप' में 'सेल्स-मैन' लग गए. चाहे जो भी बोलना पड़े, जैसे तैसे अपना 'पॉइंट' प्रूव होना चाहिए...और 'बिकना' चाहिए.
एक 'कस्टमर ' गुस्साया सा, फुफकारता हुआ दाखिल होता है 'शो-रूम' में अपने हाथ में एक घड़ी को उछालते हुए. दनक से मुल्ला के सामने वह घड़ी पटकता है और कहता है, " मुल्ला, कितने झूठे हो तुम, मक्कार भी, देखो यह घड़ी बंद हो गयी, तुम ने तो कहा था की यह ताजिंदगी चलेगी."
"हुज़ूर मुझे उस दिन आपकी तवियत बहुत ही नासाज़ लग रही थी जिस दिन आपने इस घड़ी को ख़रीदा था."मुल्ला बोला.
एक 'कस्टमर ' गुस्साया सा, फुफकारता हुआ दाखिल होता है 'शो-रूम' में अपने हाथ में एक घड़ी को उछालते हुए. दनक से मुल्ला के सामने वह घड़ी पटकता है और कहता है, " मुल्ला, कितने झूठे हो तुम, मक्कार भी, देखो यह घड़ी बंद हो गयी, तुम ने तो कहा था की यह ताजिंदगी चलेगी."
"हुज़ूर मुझे उस दिन आपकी तवियत बहुत ही नासाज़ लग रही थी जिस दिन आपने इस घड़ी को ख़रीदा था."मुल्ला बोला.
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