Wednesday, May 13, 2009

मैं मेरी बीवी को बेहतर जानता हूँ-मु.नसीरुद्दीन


यह कोई अख़बार की "हेडलाइन ' नहीं, जनाब अपने मुल्ला नसीरुद्दीन साहिब की जिन्दगी की एक सहज घटना है, जिस-से हमें शिक्षा लेनी चाहिए सही 'अंडरस्टेंडिंग ' की

बारिश का मौसम था. गाँव के पास वाले दरिया में सैलाब आ गया था. गांववाले दौड़े दौड़े आये और मुल्ला से कहा,"यहाँ बैठे क्या मक्खियाँ मार हो, तुम्हारी बीवी दरिया में गिर गयी, डूब जाएगी, मर जाएगी...सैलाब बहुत ही खतरनाक है, किसी का हौसला भी नहीं हो रहा है, आब तो तुम्हारी ही ख्वाहिश हो या तुम्हे दर्द हो तो कूदो और उसे बचाओ."
मुल्ला दौड़ा दौड़ा दरिया के करीब आया, कपड़े तक नहीं उतारे (शाबाश मुल्ला! पहली दफा नासमझी की ...:) ), और एक दम से दरिया में छलांग लगा दी. मुल्ला ऊपर की जानिब तैरने लगा. भीड़ इक्कठा हो गयी थी. लोगों ने शोर मचाया: "नसीरुद्दीन यह तुम क्या कर रहे हो ? तुम्हारी बीवी को धार नीचे की तरफ धकेल कर ले गयी है और तुम हो कि ऊपर की तरफ तैर रहे हो."
नसीरुद्दीन ने कहा, "चुप, मैं अपनी बीवी को बेहतर जानता हूँ कि तुम ? दुनिया की कोई दूसरी खातून हो तो शायद धार उसको नीचे की जानिब ले जाये, मगर मेरी बीवी तो मेरी बीवी, हरदम धार के खिलाफ बहने वाली है. वह पक्का ऊपर की तरफ गयी होगी. उसे मैं अच्छे से जानता हूँ. उसकी सारी अरिथमेटिक को जानता हूँ, उसके 'लोजिक सिक्वेंस ' को पहचानता हूँ. मत सिखाओ मुझे....मेरी बीवी के मुआताल्लिक मुझे सब कुछ मालूम है.अगर मेरी बीवी गिरी है तो ऊपर की तरफ ही बहेगी. वह उलटे दिमाग वाली है."

मगर कौन उठ सकता है धारा के विपरीत, उल्टा ऊपर की ओर, सिवा मुल्ला की 'अंडरस्टेंडिंग ' के.

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