मंज़र है
राम लीला का
कलाकारों की
छीना झपटी में
बदल गए थे मुखौटे
राम और रावन के..........
राम बोल रहे थे
मगर मुखौटा रावण का था
रावण बोल रहा था
किन्तु चेहरा राम का था
सुन कर
देख कर
पात्रों और संवादों का अंतर
दर्शकों को
लग रहा था
अटपटा,
कर रहे थे कानाफूसी
बदल गया कैसे
कुछ क्षणों में
ब्रह्म और
जीव का स्वभाव ?
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