चेतन
अवचेतन
और अचेतन के
रंग लिए
मेरा मन
तिरंगा
अशोकचक्र की
गति लिए
चलायमान है...........
प्रतीक्षा है
होने की
इसे
केवल श्वेत
जो रंग है
चेतन्य का
जागरूकता का............
हो जाये समापन प्रयासों का
आ जाये सहजता
ऐसा हो
मेरे प्रभो !
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