आते देख
नन्ही चींटी को
बोला पर्वत
नादाँ !
तेरे नन्हे
दुर्बल पांव
कैसे कर पाएंगे
मेरी विकट चढ़ाई……….
हे तुच्छ प्राणी !
क्यों नहीं
बदल लेती
राह अपनी ;
इस जटिल मार्ग
की बाधाएं
कर देगी
नष्ट तुम को……………..
चींटी ने कहा:
हे पर्वत !
डरा मत मुझ को
तू बस एक ढेर
है ढेलों का
कर रहा है क्यूँ
वृथा गर्व
स्वयं पर……………..
उड़ते पक्षी ने
सर पर तुम्हारे
कर दी है विष्टा
और लग गया है
तेरी शान में बट्टा;
बता मूढ़ !
कहाँ चली गई
हेंकड़ी तुम्हारी…………
पर्वत हुआ था
आग बबूला
कर बोला चीत्कार
मैं नहीं कोई
ढीला ढाला
बालू का टीला;
बज्र स़ी है
देह मेरी……………..
तुरत लौट चल
अपने बिल को
छोड़ कर ढिठाई ;
चिपका अपना गुरूर
आना मत कभी भी
सम्मुख मेरे……………
चींटी ने दी
ललकार पर्वत को
मत बजा अपने
थोथे गालों को
क्या है तुम्हारी बिसात ?
हे जड़मति !
लगता मुझको
राई जैसा
हिमालय पिता तुम्हारा……..
मैं हूँ चेतन्य
तुम हो जड़
क्या हो संवाद कुछ
तुम से
मेरे अढाई अक्षरों में
बसता रहस्य सृष्टि का
खोज रे पत्थर
है कहाँ
जीव और
आत्मा तुम्हारी………….
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kartabya.live@gmail.com best hi
ReplyDeleteAate dekh
ReplyDeleteNanhi cheenti ko
Bola parvat
Nadan !
Tere nanhe
Durbal paon
Kaise kar payenge
Meri vikat chadhai……….
Hey tuchh prani !
Kyon nahin
Badal leti
Raah apni ;
Is jatil marg
Ki baadhaayen
Kar degi
Nast tum ko……………..
Cheenti ne kaha:
Hey Parvat !
Dara mat mujh ko
Tu bas aek dher
Hai dhelon ka
Kar raha hai kyun
Vratha garv
Swayam par……………..
Udte pakshi ne
Sir par tumhare
Kar di hai vista
Aaur lag gaya hai
Teri shan men batta;
Bata Moodh !
Kahan chali gayi
Henkadi tumhari…………
Parvat hua tha
Aag babula
Kar bola chitkar
Main nahin koyi
Dheela dhala
Balu ka teela;
Bajra si hai
Deh meri……………..
Turat lout chal
Apne bil ko
Chhod kar dheetayi;
Chipaka apna guroor
Aana mat kabhi bhi
Sammukh mere……………
Cheenti ne di
Lalkar parvat ko
Mat baja apne
Thothe gaalon ko
Kya hai tumhari bisaat ?
Hey Jadmati !
Lagta mujhko
Rayi jaisa
Himalaya pita tumhara……..
Main hun chetnya
Tum ho jad
Kya ho samvad kuchh
Tum se
Mere adhai akshron men
Basta rahasya sristi ka
Khoz re pathar
Hai kahan
Jeev aaur
Atma tumhari…………