Friday, May 1, 2009

दायरे .......

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पढ़ पढ़ कर
शास्त्रों को,
सुन सुन कर
माशरे को,
बना डाले हैं
मैंने
अजीब से
खतरनाक
दायरे,
जो ना जीने देते हैं
ना मरने
ना बैठने देते हैं
ना कुछ करने.....

आज सुनूंगा सदा
सिर्फ
दिल की,
तोड़ कर
अपने बनाये
इन दायरों को,
हो कर
आज़ाद
इन बंधनों से,
जीऊंगा
अपनी तरहा,
मरूँगा
सब की तरहा.....

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