मंदी की मार हम सबों की तरहा मुल्ला नसीरुद्दीन को भी झेलनी पड़ी. उधार (लेने और देने) के चलते उनका कारोबार ठप्प हो गया. मुल्ला को मजबूरन एक डाईगोनेस्टिक सेंटर में 'डिलीवरी मैन' की हैसियत से 'ज्वाइन' करना पड़ा. मुल्ला का काम था 'रिपोर्ट्स' को पेशेंट्स के यहाँ डेलिवर करना. और जैसा कि होता है, आम तौर पर लोग न जाने क्यूँ डॉक्टर की कैमिस्ट , कमपाऊंडर या ऐसे ही किसी अन्य सम्बंधित व्यक्ति से एक्सप्लेन कराते हैं/तसदीक करते है. मसलन दवा-दूकान के काउन्टर पर डॉक्टर के प्रेस्सिप्शन के लिए पूछा जाता है, "दवा अच्छी है न." या डॉक्टर के द्वारा चेक उप के बाद उसके असिस्टेंट से पूछा जाता है, "भैया सब ठीक है न." यही सवाल एक्स रे टेक्निशियन से भी लोग करते हैं जब उनका एक्स रे हुआ होता है.
हाँ तो एक दफा मुल्ला एक नेताजी की 'मेडिकल रिपोर्ट्स' उनके यहाँ डिलीवरी करने गए. नेताजी ने खुद रिपोर्ट्स को संभाला, देखा मगर कुछ भी समझ में नहीं आया, क्योंकि उनकी क्वालिफिकेशन एल .इ. (लार्नड बाय एक्सपीरिएंस ) थी, काला अक्षर भैंस बराबर। सो नेताजी कहीं, "मुल्ला मेरी रिपोर्ट जरा मेरी ही भासा में तनिक बता दीजिये न."
मुल्ला ने रिपोर्ट्स बताई, "सुनिए, आपका ब्लड प्रेसर घोटालों की तरह बढ़ रहा है. फेंफड़े झूठे आश्वासन दे रहे हैं. और हार्ट त्याग-पत्र देने वाला है."
हाँ तो एक दफा मुल्ला एक नेताजी की 'मेडिकल रिपोर्ट्स' उनके यहाँ डिलीवरी करने गए. नेताजी ने खुद रिपोर्ट्स को संभाला, देखा मगर कुछ भी समझ में नहीं आया, क्योंकि उनकी क्वालिफिकेशन एल .इ. (लार्नड बाय एक्सपीरिएंस ) थी, काला अक्षर भैंस बराबर। सो नेताजी कहीं, "मुल्ला मेरी रिपोर्ट जरा मेरी ही भासा में तनिक बता दीजिये न."
मुल्ला ने रिपोर्ट्स बताई, "सुनिए, आपका ब्लड प्रेसर घोटालों की तरह बढ़ रहा है. फेंफड़े झूठे आश्वासन दे रहे हैं. और हार्ट त्याग-पत्र देने वाला है."
No comments:
Post a Comment