Thursday, September 17, 2009

क्या फायदा..............

दरिया के किनारों को मिलना नहीं
इस तरहा दिल लगाने से क्या फायदा
ज़िन्दगी में कभी साथ होना नहीं
दूरियों को मिटाने से क्या फायदा.........

आग मन में यह क्यूँ यूँ सुलग सी गयीं
प्यास तन में यह क्यूँ ऐसे जग सी गयी

जब से कलियों से नज़रें यूँ बचने लगी
हिजाब -ए-गुलशन हटाने से क्या फायदा
ज़िन्दगी में कभी साथ होना नहीं
दूरियों को मिटाने से क्या फायदा.........

आह और चाह में कोई रिश्ता नहीं
मेरे खूँ से यह पानी भी सस्ता नहीं

मेरे ज़ख्मों को धोने से राहत नहीं
मरहम जुबाँ से लगाने से क्या फायदा
दरिया के किनारों को मिलना नहीं
इस तरहा दिल लगाने से क्या फायदा.........

पाक तक़रीर करते बहमन-शेखजी
हो ना हो यह इरादे कोई नेक जी

झूठी बातों को सुन सुन थके मेरे कान
कुरान-ओ-गीता सुनाने से क्या फायदा
ज़िन्दगी में कभी साथ होना नहीं
दूरियों को मिटाने से क्या फायदा........

झूमना ओ बहकना है दिल कि अदा
जाम-ए-सेहत उन्ही के पीये हैं सदा

वल्लाह यारी से प्यारी अदावत मेरी
गम में आंसू बहाने से क्या फायदा
दरिया के किनारों को मिलना नहीं
इस तरहा दिल लगाने से क्या फायदा.........

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