Friday, September 18, 2009

ज़िन्दगी............

मुस्कुराती है लबों पर ज़िन्दगी
छलक जाती आंसुओं में ज़िन्दगी......
जीने की जगमग रोशनी के तले
रोज़ मौत को खोजती है ज़िन्दगी............

काँटों को सहता है फूल कबीले में
प्यास भी रहती है सूखी गीले में
मंजिल से पहले सट मिल कर गले
सुख दुःख की राहें करती है बंदगी
मुस्कुराती है लबों पर ज़िन्दगी
छलक जाती आंसुओं में ज़िन्दगी......

पौ फटी एक दीपक जलकर बुझ गया
बीज गला फिर बूटा भी एक उग गया
करनी से पहले ही जायेगा मर अनायास
यह जान पाया ना करनेवाला ताजिंदगी
मुस्कुराती है लबों पर ज़िन्दगी
छलक जाती आंसुओं में ज़िन्दगी......

दिन हंसा था मार कर अँधेरे को
दिन मरा था गले लगा अँधेरे को
बजरिये जीत-हार के बैलों के
चलता कोल्हू.. बीतती है ज़िन्दगी
मुस्कुराती है लबों पर ज़िन्दगी
छलक जाती आंसुओं में ज़िन्दगी......

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