Saturday, September 5, 2009

दीपक बाती और काजल.............

कथन बाती का :

दीपक !
पराई चिंता में
क्यों जला रहा है
ह्रदय अपना ?
जलते जलते
जल जाता है यूँ
तेरा हर सपना.

वचन दीपक का :

तिमिर के अस्तित्व से
ना हो ग्रसित
निछत्र धरती,
ऐ बाती !
सार्थक है यह
जलना मेरा,
सिद्धि उपहार
इस तप से पा
बन काजल
ज्योत नयन में
जगा सकूँ
ऐसा परम
कर्मफल मेरा.................

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