Thursday, August 12, 2010

रोशनी और अँधेरा ..... (आशु रचना)


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आते ही तेरे
समा जाता हूँ
तुझ में
ऐ रोशनी !
लोगों का
होता है
गुमां क्यूँ
क़ि अँधेरा
मिट गया ...

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