Saturday, August 14, 2010

नक्षत्र भी है तू ही...


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मेरा कातिल
मेरा मुंसिफ है
तू ही,
सबब मेरी बर्बादी के
मेरे हर नफस में
हाज़िर है
तू ही.....

हक है तू
हकूमत है
तू ही,
मेरी इबादत
मेरी फ़रियाद है
तू ही...

अज़ब रिश्ता है
यह मेरा और तेरा
नफरत भी तू
मोहब्बत भी है
तू ही......
मेरी ज़िन्दगी में
समाया है
इस कदर तू
मेरी रोशनी भी है तू
ज़ुल्मत भी है
तू ही...

अधूरा हूँ मैं
बिन तेरे
मेरी गुरवत तू
सरमाया है तू ही,
जुदा भी है
तू मुझ से
हमसाया भी है
तू ही....

मेरा आसमां है तू
मेरी जमीं है
तू ही
मेरा रकीब
मेरा हमनशीं है
तू ही....

नजूमी नहीं मैं
माप लूँ
चाल सितारों की,
मेरी कुंडली है तू
नक्षत्र भी है
तू ही...

मैं हूँ "मैं"
और तू है "तू "
जब तक,
जंजाल
बदगुमानी का
कायम है
तब तक,
भटका हूँ मैं
राह अपनी,
मिले कोई रहबर
पहुंचाए मुझे
घर तक.....


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