Wednesday, August 25, 2010

निश्चय.....


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निश्चय
अनिश्चय के
पेशोपेश में
समय गँवा
देते हैं लोग,
राहें भटक
जाते हैं
राही,
मिट जाते हैं
सब संयोग...
रिश्तों का
जंजाल जटिल है,
कहतें उसको
इश्क का रोग....
सुविधा में
प्रेमी दूर
रह रहे,
किन्तु नाम
दिया है
वियोग...

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